November 24, 2024

पटना बिहार पुलिस ने किशोर न्याय अधिनियम 2015 के अनुपालन के लिए नई दिशा-निर्देश जारी किए हैं, जिनके तहत 18 साल से कम उम्र के बच्चों पर छोटे अपराधों के लिए अब एफआईआर दर्ज नहीं की जाएगी. सात साल से कम की सजा वाले अपराधों में बच्चों के खिलाफ मामला सिर्फ थाने की स्टेशन डायरी में दर्ज किया जाएगा. केवल सात साल से अधिक सजा वाले गंभीर अपराधों में ही बच्चों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की जाएगी. यह नई मार्गदर्शिका सभी आईजी, डीआईजी, एसएसपी, और एसपी रैंक के पुलिस अधिकारियों को भेजी गई है, ताकि इसे सही तरीके से लागू किया जा सके. बिहार पुलिस मुख्यालय ने इस नियम के तहत किशोर न्याय (बच्चों की देखभाल और संरक्षण) अधिनियम के अनुपालन में एक मानक संचालन प्रक्रिया (SOP) बनाई है. इस SOP के अनुसार पुलिस अधिकारियों को बच्चों से जुड़े मामलों को विशेष संवेदनशीलता के साथ संभालने की हिदायत दी गई है. अब छोटे अपराधों में बच्चों के खिलाफ कोई भी आपराधिक मुकदमा दर्ज नहीं किया जाएगा, बल्कि उनकी सुरक्षा और सुधार पर ध्यान दिया जाएगा.
इस नए नियम में यह भी स्पष्ट किया गया है कि यदि किसी बच्चे को कानून का उल्लंघन करने पर गिरफ्तार किया जाता है, तो उसे लॉकअप में नहीं रखा जाएगा. पुलिस उसे जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड (जेजे बोर्ड) के सामने पेश करेगी और उसकी गिरफ्तारी के कारण की पूरी जानकारी देगी. बच्चों को न तो हथकड़ी लगाई जाएगी और न ही सामान्य कैदियों की तरह रखा जाएगा. इसके बजाय बच्चों को बाल-सुलभ माहौल वाले कमरे में रखा जाएगा ताकि वे सुरक्षित महसूस करें. इसके अलावा जरूरत पड़ने पर उन्हें मुफ्त कानूनी सहायता भी उपलब्ध कराई जाएगी, जिसके लिए जिला विधिक सेवा प्राधिकरण को सूचित किया जाएगा.

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