November 24, 2024

रांची। झारखंड एंटी ट्रैफिकिंग नेटवर्क (जतन) एक सामूहिक-सहयोगी पहल है जो कि झारखंड राज्य में सुरक्षित प्रवास को बढ़ावा देने और मानव तस्करी को कम करने का काम करती है। अपनी इस भूमिका में जतन विभिन्न सरकारी और गैर-सरकारी हितधारकों के बीच सुरक्षित प्रवास, सुरक्षा और संकटग्रस्त प्रवासियों की सुरक्षा की समझ को प्रचारित और लोकप्रिय करने के साथ समुदाय में जागरूक व सुरक्षित अभ्यासों को बढ़ावा देती है। ज़मीनी स्तर पर डेटा एकत्र कर, अनुसंधान और सबूतों के संग्रह के माध्यम से झारखंड के प्रवासियों, विशेष कर से महिलाओं और किशोर-किशोरियों के विरुद्ध अपराधों के प्रमाण जुटाने के कार्य जतन ने अपने गठन के प्रारंभ से किए हैं। राज्य के विभिन्न क्षेत्रों में समुदाय और हितधारकों को शिक्षित और जागरूक करने के दौरान नेटवर्क ने यह पाया कि असुरक्षित प्रवास की दिशा में झारखंड एक बड़ी वृद्धि हो रही है। इस प्रकार के निष्कर्षों ने जतन को विभित्र स्तरों पर मुद्दों को जोरदार तरीके से उजागर करने में मदद की और इससे सरकार और नीति निर्माताओं के साथ प्रभावी वकालत करने का मार्ग प्रशस्त हुआ।जतन झारखंड के 13 जिलों में काम कर रही है और इसका उद्देश्य और दृष्टिकोण यह है कि अनजान, अशिक्षित एवं हाशिए पर मौजूद वर्गों को असुरक्षित प्रवास से बचाया जाए।

प्रवासी, महिलाओं और उनके परिवारों के लिए जतन की मुख्य रणनीतियाँ:

  1. प्रवास से पहले पंजीकरण एवं कार्य का प्रकार समझना
  2. प्रवासियों और उनके परिवारों को पंजीकरण, कार्य का प्रकार, और गंतव्य का विवरण बताना। 3. सामाजिक-शारीरिक सुरक्षा, ईमानदारी, समान वेतन और निश्चित कार्य घंटों को बढ़ावा देना। – सामुदायिक संगठन और जागरूकता बढ़ाना।
  • समुदाय और नेटवर्क के सदस्यों की क्षमता का निर्माण।
  • समुदाय और नेटवर्क के सदस्यों की क्षमता का निर्माण ।
  • सरकार और नीति निर्माताओं के साथ संलग्नता और समर्थन
  • परामर्श और कानूनी समर्थन प्रदान करना।
  • केस वर्क करना।
  • समान विचारधारा वाले समूहों और संगठनों के साथ नेटवर्किंग और संपर्क स्थापित करना।
    जतन के सफ़र में अब तक की गई प्रमुख गतिविधियां मुख्य रूप से सुरक्षित प्रवासन और तस्करी विरोधी गतिविधियों के लिए नेटवर्क सदस्यों की क्षमता का निर्माण करना था। इनके अलावा निम्रलिखित गतिविधियों के माध्यम से नीति निर्माताओं एवं समुदायों के साथ नेटवर्क ने संपर्क और एडवोकेसी का काम बढ़ाया है:
  • सुरक्षित प्रवास और तस्करी विरोधी के प्रति नेटवर्क सदस्यों की क्षमता का निर्माण।
  • विभिन्न मीडिया और बैठकों के माध्यम से नेटवर्क के दृश्यता विश्वसनीयता एवं प्रतिनिधित्व को बढ़ाना।
  • नीति प्रभाव के लिए साक्ष्य एकत्रण और राज्य स्तर पर परामर्श और संवाद करना।
  • महत्वपूर्ण स्थानों, ट्रांजिट और गंतव्यों की मैपिंग (मानचित्रण) और पहचान करना। – तस्करी सर्वाइवरों (उत्तरजीवियों) के लिए कानूनी समर्थन और सामुदायिक पुनर्वास की स्थापना करना। – सुरक्षित प्रवास पर राष्ट्रीय स्तर के परामर्श का आयोजन करना।
  • सभी जतन गतिविधियों के माध्यम से कोविड-19 पर जागरूकता अभियान चलाना।
  • सर्वाइवरों की पहचान और मनो-सामाजिक व कानूनी सहायता प्रदान करना।
  • लक्षित गांवों में प्रवासी फोरम का गठन ।
  • नियमित प्रशिक्षण/बैठकों के माध्यम से प्रवासी फोरम का सशक्तिकरण, प्रस्थान पूर्व परामर्श और तस्करी से कमजोर लोगों की सुरक्षा करना।
  • चरणबद्ध प्रशिक्षण और प्रवासी फोरम की क्षमता का निर्माण।
  • शिक्षा और ज्ञान के प्रसार के लिए IEC (जानकारी, शिक्षा, संचार) सामग्री का विकास ।

गत वर्षों में नेटवर्क ने विविध पहलों से भागीदारों को वकालत की योजना बनाने और प्रवासियों के लिए आवाज उठाने के लिए और मजबूत किया और विभिन्न उपलब्धियों के साथ उभरने में सक्षम रहाः

  • महिलाओं की सुरक्षित गतिशीलता और तस्करी विरोधी हस्तक्षेप पर आधारित दृष्टिकोण के साथ झारखंड में काम करने वाला पहला नेटवर्क।
  • गांव के निवासियों और विभिन्न सरकारी और गैर-सरकारी हितधारकों के बीच सुरक्षित प्रवास और

गतिशीलता की अवधारणा को सफलतापूर्वक पेश किया।

  • 20,000 से अधिक लोगों तक अपने संदेश के साथ पहुंच ।
  • 130 प्रवासी फोरम की स्थापना।
  • सभी 13 सदस्य संगठन 13 जिलों में सूचना केंद्र/सहायता डेस्क स्थापित कर जानकारी प्रसारित कर रहे हैं। – एंटी-हयूमन ट्रैफिकिंग इकाइयों के साथ प्रभावी ढंग से काम किया। – महिलाओं के अधिकारों से संबंधित कानूनों के प्रभावी कार्यान्वयन के लिए सरकारी अधिकारियों के साथ समन्वय किया।
  • सभी 13 जिलों में प्रवास की स्थिति पर शोध अध्ययन किया और रिपोर्ट साझा की। – महिलाओं के खिलाफ हिंसा के मामलों को कवर करने वाली पुस्तिका जारी की। सरकारी सामाजिक सुरक्षा योजनाओं से समुदाय के सदस्यों को जोड़ने की प्रक्रिया को सुगम बनाया। –
  • सभी 13 जिलों में प्रवास की स्थिति पर शोध अध्ययन किया और रिपोर्ट साझा की।
  • महिलाओं के खिलाफ हिंसा के मामलों को कवर करने वाली पुस्तिका जारी की।
  • सरकारी सामाजिक सुरक्षा योजनाओं से समुदाय के सदस्यों को जोड़ने की प्रक्रिया को सुगम बनाया।
  • पंचायत स्तर पर पंजीकरण की प्रक्रिया को बढ़ाने के लिए शिविरों और बैठकों का आयोजन किया।
  • पंचायत, ब्लॉक और जिला स्तर पर हितधारकों के साथ समन्वय स्थापित किया।
  • स्रोत और गंतव्य पर समान विचारधारा वाले संगठनों के साथ इंटरफेस और राज्य, राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय संगठनों के साथ संपर्क स्थापित किया।

जतन के वर्ष 2021 से वर्ष 2024 तक कुल प्रभावः SHGs (सेल्फ हेल्प ग्रुप) के साथ 1,430 बैठकें आयोजित की गई जिसमें लगभग 14,931 सदस्यों ने भाग लिया।

  • 48.565 सदस्य जागरूकता कार्यक्रम में भाग लिया।
  • SHGs और समूहों के माध्यम से 30,602 बच्चों, महिलाओं, किशोरों और युवाओं तक पहुँचा।
  • 1,397 किशोरी समूह बैठकें आयोजित की गई जिनमें 11,401 सदस्यों ने भाग लिया।
  • 130 प्रवासी फोरम का गठन किया गया जिसमें 4,425 प्रवासी सदस्य शामिल थे।
  • 1,760 प्रवासी फोरम बैठकें आयोजित की गई और अब तक कुल 20,476 लोगों ने भाग लिया। – फ्रंटलाइन कार्यकर्ताओं के साथ 143 बैठकें आयोजित की गई जिनमें 2,588 ने भाग लिया। – गांव स्तर पर 148 त्रैमासिक प्रशिक्षण आयोजित किए गए जिनमें 13,119 प्रतिभागियों ने भाग लिया। – 13 जिलों में 13 सूचना केंद्र स्थापित किए गए और 1,551 मुद्दे लाए गए और अब तक 1,276 मुद्दों का समाधान किया गया।
  • पंचायत स्तर पर 121 कार्यशालाएं आयोजित की गई जिनमें कुल 3,461 प्रतिभागियों ने भाग लिया। – ब्लॉक स्तर पर प्रवासी फोरम के साथ 66 प्रशिक्षण कार्यशालाएं आयोजित की गई जिनमें 1,907 प्रतिभागियों ने भाग लिया।
  • जिला स्तर पर 44 कार्यशालाएं आयोजित की गईं जिनमें 2,348 प्रतिभागियों ने भाग लिया। – नियमित फॉलो-अप के माध्यम से 440 केस वर्क किए गए। – सरकारी सामाजिक सुरक्षा योजनाओं से 6,105 लाभार्थियों को जोड़ा गया।

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