कांग्रेस और जेएमएम में बढ़ेंगी दूरी, बन्ना गुप्ता संदेह के दायरे में आ सकतें हैं
परवेज़ कुरैशी
रांची। झारखंड विधानसभा चुनाव आने में अब महज तीन से चार महीने हैं बाकी , लेकिन अब कुछ राजनीतिक हल चले तेज हो गई है। यह इसलिए हो रहा है कि अचानक भाजपा से कांग्रेस में गए जेपी भाई पटेल की सदस्यता 25 जुलाई 2024 को विधानसभा अध्यक्ष द्वारा रद्द कर दिया गया है। और रातों रात डीजीपी अजय सिंह को हटा दिया गया है। बता दें कि जेपी भाई पटेल कांग्रेस उम्मीदवार के रूप में हजारीबाग लोकसभा से चुनाव लड़े थे, लेकिन वे भाजपा के निर्वाचित सदस्य थे , जिनकी सदस्य विधानसभा अध्यक्ष द्वारा समाप्त कर दी गई। हालांकि झारखंड मुक्ति मोर्चा के बोरियों के विधायक लोबिन हेंब्रम जो पार्टी के विरुद्ध जाकर राजमहल लोकसभा चुनाव लड़े थे, इसलिए उनकी भी सदस्यता रद्द कर दी गई है,। लेकिन कांग्रेस के द्वारा यह आपत्ति जताई जा रही है कि आखिर झारखंड मुक्ति मोर्चा के विशनपुर विधायक चमरा लिंडा पर गाज क्यों नहीं गिरी, क्योंकि वे भी इंडियन गठबंधन और अपनी पार्टी से हटकर कांग्रेस के प्रत्याशी सुखदेव भगत के खिलाफ लोहरदगा लोकसभा चुनाव लड़े थे। अभी यह बहस जारी ही हुआ था कि रातों-रात गृह, कारा एवं आपदा प्रबंधन विभाग झारखंड सरकार द्वारा राज्य के डीजीपी अजय सिंह को भी उनके पद से हटा दिया गया और इनके स्थान पर तत्कालीन भाजपा के मुख्यमंत्री रघुवर दास के कार्यकाल में विवादों में आए आइपीएस अधिकारी अनुराग गुप्ता को महानिदेशक, अपराध अनुसंधान विभाग, झारखण्ड, राँची (अतिरिक्त प्रभार-महानिदेशक, भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो, झारखण्ड, को राज्य के डीजीपी का अतिरिक्त प्रभार दे दिया गया। अनुराग गुप्ता को डीजीपी का अतिरिक्त प्रभार देने के बाद एकाएक राजनीतिक गलियारे से लेकर पुलिस महकमें में खलबली मच गई , लेकिन यह निर्णय क्यों लिया गया यह भी जानना दिलचस्प होगा।
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने देर से सही लेकिन लिया निर्णय:
सूत्रों द्वारा बताया जा रहा है कि हेमंत सोरेन जब 29दिसंबर 2019 में मुख्यमंत्री पद के लिए पदभार लिये थे तब अपने पास उन्होंने
कार्मिक, प्रशासनिक सुधार और राजभाषा मंत्रालय,प्रशासनिक सुधार और राजभाषा मंत्रालय, कैबिनेट सचिवालय और सतर्कता मंत्रालय , विधि मंत्रालय, उद्योग मंत्रालय, वन, पर्यावरण और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय, उच्च एवं तकनीकी शिक्षा मंत्रालय रखें थे। जबकि कांग्रेस कोटे के मंत्री बन्ना गुप्ता के पास स्वास्थ्य, चिकित्सा शिक्षा एवं परिवार कल्याण मंत्रालय, गृह, जेल और आपदा प्रबंधन मंत्रालय 28 जनवरी 2020 दे दिया गया था। अब वे मान रहे हैं कि उन्होंने कहीं न कहीं चूक कर बैठे थे।
इन घटनाओं को जानना जरूरी है:
10 जून 2022 को रांची शहर के डेली मार्केट थाना क्षेत्र में एक जुलूस निकाला गया था , इस दौरान गोलीबारी की घटनाएं हुई थी, तब तत्कालीन उपायुक्त छवि रंजन,एस एसपी सुरेंद्र झा , सिटी एसपी अंशुमन, डेली मार्केट थाना प्रभारी अवधेश ठाकुर , लोअर बाजार थाना प्रभारी संजय कुमार सहित अन्य मजिस्ट्रेट एवं पुलिस बल मोर्चे पर थे। जिसमें दो युवकों की मौत हो गई थी। इस घटना के बाद काफी हो हंगामा हुआ था, पुलिस फोर्स तैनात कर दी गई थी, दूसरे दिन जुलूस में शामिल लोगों को चिन्हित कर यूपी के तर्ज पर पोस्टर चिपका दिया गया था। हालांकि एक घंटा बाद ही झारखंड सरकार के आदेश से यह पोस्टर हटा दिया गया था, लेकिन आज तक स्पष्ट नहीं हो सका कि यह पोस्टर किनके निर्देश पर लगाया गया था, अब इसकी छानबीन शुरू हो रही है। वहीं 31 जनवरी को जब मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को ईडी के द्वारा गिरफ्तार किये गये थू , इस दौरान सीआरपीएफ के जवान गोंदा थाना स्थित मुख्यमंत्री आवास के पास उतार दिये गये थे , माना जा रहा है कि यह ऐसा इसलिए किया गया था कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन पर दबाव बना सके, कुछ विधि व्यवस्था बिगड़ती तो राष्ट्रपति शासन लगा दिया जाता। इतना ही नहीं पश्चिम बंगाल के कोलकाता में कांग्रेस कोटे के तीन विधायकों वर्तमान के मंत्री डॉ इरफान अंसारी, विधायक राजेश कच्छप, नमन विल्सन कोंगाडी की भी गिरफ्तारी हुई थी, और कांग्रेस कोटे से लोकसभा में मुसलमानों को टिकट नहीं दिया गया। इन सबके कारण संदेह तो शुरू से हो ही रहा था , लेकिन सवाल अब उठ रहा है , कि जब कांग्रेस कोटे से मंत्री बनाए गए बन्ना गुप्ता के पास गृह, जेल और आपदा प्रबंधन था तो फिर उन्होंने प्रशासनिक अधिकारी को कंट्रोल करने में खुद को कितना पहल किया था, अब पूरी तरह से यह जांच के दायरे में आने जा रहा हैं। इन सब घटनाओं को देखते हुए मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन जब जेल से बाहर आए और नए सिरे से कैबिनेट मंत्री का विस्तार किया किए , उन्होंने जेल,गृह आपदा प्रबंधन विभाग अपने पास रख लिया और इसको देखते हुए तुरंत डीजीपी अजय सिंह को उसके पद से हटा दिया गया।
झारखंड के डीजीपी बनाए गए अनुराग गुप्ता
रांची। गृह, कारा एवं आपदा प्रबंधन विभाग झारखंड ने अधिसूचना जारी कर दिया है। तीन आइपीएस अधिकारियों का तबादला किया गया है। अजय कुमार सिंह, भापुसे (1989). महानिदेशक एवं पुलिस महानिरीक्षक, झारखण्ड, रांची को स्थानांतरित करते हुए अगले आदेश तक अध्यक्ष-सह-प्रबंध निदेशक, झारखण्ड पुलिस हाउसिंग कॉरपोरेशन लिमिटेड, राँची के पद पर पदस्थापित किया जाता है। वहीं अनुराग गुप्ता, भापुसे (1990), महानिदेशक, अपराध अनुसंधान विभाग, झारखण्ड, राँची (अतिरिक्त प्रभार-महानिदेशक, भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो, झारखण्ड, राँची अगले आदेश तक अपने कार्यों के साथ महानिदेशक एवं पुलिस महानिरीक्षक, झारखण्ड, राँची के प्रभार में रहेंगे। प्रशान्त सिंह, भापु से (1992), अध्यक्ष-सह-प्रबंध निदेशक, झारखण्ड पुलिस हाउसिंग कॉरपोरेशन लिमिटेड, राँची को स्थानांतरित करते हुए अगले आदेश तक अपर पुलिस महानिदेशक, संचार एवं तकनीकी सेवाएँ, राँची के पद को पुलिस महानिदेशक कोटि में उत्क्रमित करते हुए पुलिस महानिदेशक, संचार एवं तकनीकी सेवाएँ, राँची के पद पर पदस्थापित किया जाता है।
कई पदों पर रहें चुके हैं:
बता दें कि आईपीएस अनुराग गुप्ता झारखंड पुलिस में महत्वपूर्ण पदों पर काम कर चुके हैं। गढ़वा, हजारीबाग एसपी और रांची के एसएसपी के पद पर काम कर चुके हैं। इसके अलावा वह बोकारो रेंज के डीआईजी के पद पर लंबे समय तक काम कर चुके हैं। झारखंड पुलिस मुख्यालय में उन्हें लंबे समय तक एडीजी स्पेशल ब्रांच के पद पर भी थे।सीआईडी डीजी रहते हुए उन्होंने कई साइबर अपराधियों को गिरफ्तार करते हुए बड़े मामलों का खुलासा किया है।
कांग्रेस की शिकायत पर आयोग ने दिया था निर्देश:
चुनाव आयोग ने कांग्रेस की शिकायत के बाद संज्ञान लेते हुए झारखंड के एडीजी अनुराग गुप्ता को दिल्ली अटैच कर दिया था। कांग्रेस ने झारखंड में हाल ही में खत्म हुए लोकसभा चुनाव के कार्य से बाहर रखने की मांग की थी। कांग्रेस ने 2016 में राज्यसभा चुनाव के दौरान झारखंड के एक विधायक को पार्टी विशेष को मदद पहुंचाने के आरोप का हवाला दिया था। शिकायत करनेवालों में पूर्व केंद्रीय मंत्री सह प्रदेश कांग्रेस प्रभारी आरपीएन सिंह, कपिल सिब्बल, अभिषेक मनु सिंघवी आदि नेता शामिल थे। बावजूद इसके हेमंत सोरेन की सरकार में अनुराग गुप्ता को जगह मिली और अपने पदों पर रहते हुए बेहतरीन काम किया और आगे भी बेहतर कार्य करेंगे राज्य की जनता को ऐसी उम्मीदें हैं।