रांची। आज आठ मार्च है आज की तारिख में अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के रुप में मनाया जाता है। यह अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस मनाने का मुख्य उद्देश्य समाज में महिलाओं को उसका बराबरी का हक दिलाना , साथ ही किसी भी क्षेत्र में महिलाओं के साथ होने वाले भेदभाव को रोकने के मकसद से भी इस दिवस को मनाया जाता है। इस दिन महिलाओं के अधिकारों की तरफ लोगों का ध्यान आकर्षित करने और उन्हें जागरूक करने के मकसद से कई कार्यक्रम और कैंपेन भी आयोजित किए जाते हैं। आज महिलाएं हर क्षेत्र में खुद को स्थापित कर रही है। शिक्षा, रोजगार, राजनीति, खेल, कला संस्कृति, प्रशासनिक, चिकित्सक, अधिवक्ता का क्षेत्र हो या फिर घरेलू महिला हर क्षेत्र में खुद को आत्मनिर्भर बना रही है। झारखंड में भी ऐसी कई महिलाएं हैं जो आइएएस,आईपीएस राजनीतिक, पुलिस, अधिवक्ता के क्षेत्र में खुद का लोहा मनवा रही हैं। इसी क्षेत्र से जुडी कई महिलाओं ने प्रभात मंत्र रांची ब्यूरो परवेज़ कुरैशी से अपने विचार साझा किए हैं।

महिला दिवस पर महिलाओं के विचार:

महिलाओं ने पारंपरिक धरोहर को जीवंत बनाए रखा है: अंबा प्रसाद

रांची। बड़कागांव की पूर्व विधायक अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के राष्ट्रीय सचिव, पश्चिम बंगाल सह प्रभारी अंबा प्रसाद ने अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के पूर्व संध्या पर महिलाओं के लिए शुभकामना संदेश दिया है। अंबा प्रसाद ने महिलाओं को पारंपरिक धरोहर को जीवंत बनाए रखने का सूत्रधार बताते हुए कहा कि झारखंड की महिलाओं ने अपनी लोकसंस्कृति को बचाने और उसे एक नए आयाम तक पहुँचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।अंबा प्रसाद ने कहा कि झारखंड की लोक संस्कृति, जिसमें पारंपरिक लोककला, लोकगीत, नृत्य, हस्तशिल्प, खानपान और रीति-रिवाज शामिल हैं, को संरक्षित और संवर्धित करने में महिलाओं की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। उन्होंने न केवल अपनी पारंपरिक धरोहर को जीवंत बनाए रखा है, बल्कि उसे समकालीन संदर्भों में पुनर्परिभाषित भी किया है, जिससे यह आजीविका और स्वावलंबन का साधन बना है।


अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर हमें यह सोचना चाहिए कि क्यों हमारा समाज हमारी बच्चियां को एक सुरक्षित जीवन जीने के लिए माहौल नहीं दे पा रहा है, चाहे वह घर हो या बाहर। चाँद पर बस्ती बसाने की बात के साथ वहां भी महिला सुरक्षा की चुनौतियों का सामना कैसे करना होगा, इस पर भी चर्चा कर लें तो बेहतर होगा। मेरा संदेश यही है कि जीवन की चुनौतियों का सामना करने से घबराएं नहीं, फोकस बनाये रखना ज़रूरी है कि हर बाधा टल जाएगी। गलतियों और असफलता से हार कतई नहीं मानें। परिवार में अपने बेटे और भाइयों को महिला के अस्तित्व की महत्ता एवं उसके सम्मान और सुरक्षा का मतलब ज़रूर समझायें।
संध्या रानी मेहता, पुलिस उप महानिरीक्षक अपराध अनुसंधान विभाग।

आज अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस है। इस साल 2025 का विषय, “सभी महिलाओं और लड़कियों के लिए: अधिकार। समानता। सशक्तिकरण”, वैश्विक स्तर पर लैंगिक समानता प्राप्त करने और महिलाओं और लड़कियों को सशक्त बनाने के महत्व पर जोर देता है।यह सतत विकास लक्ष्य 5 के अनुरूप है, जिसका उद्देश्य महिलाओं और लड़कियों के खिलाफ भेदभाव, हिंसा और हानिकारक प्रथाओं को समाप्त करना है, साथ ही जीवन के सभी पहलुओं में उनकी समान भागीदारी को बढ़ावा देना है।
गरिमा सिंह, एडिशनल प्लानिंग डिपार्टमेंट।

उदाहरण के लिए महिला मुखिया- आम तौर पर यह समझा जाता है की जन प्रतिनिधि स्वयं स्वतंत्रता से कार्य करने में सक्षम होंगी । लेकिन बाक़ी क्षेत्रों की तरह , केवल चुनाव लड़ने से महिला सशक्तिकरण नहीं होता। महिला मुखियाओं को सहज और स्वतंत्र रूप से काम करने का अवसर नहीं मिल पाता ।
अतः पंचायती राज , भारत सरकार , द्वारा सशक्त नेत्री अभियान की शुरुआत की गई है । जिसमें महिला मुखिया के सशक्तिकरण के लिए उनका विशेष क्षमता विकास किया जाएगा । ताकि वे एक सशक्त गृहिणी और नेत्री के रूप में योगदान दे सकें।
निशा उरांव, निदेशक पंचायती राज झारखंड।

मीरा की अमर भक्ति जहर से मर नहीं सकती, झांसी वाली रानी किसी से डर नहीं सकती,मदर टेरेसा, कल्पना हो या सानिया मैरी कॉम असंभव क्या है दुनिया में जो नारी कर नहीं सकती। उन्होंने आगे कहा कि महिला बेटी, बहन , मां, पत्नी जिस रूप में रही है वे ताकतवर है, शक्तिशाली है। महिला बहुत सशक्त और शक्तिशाली रही है और रहेगी।
बेंगाबाद की सर्किल इंस्पेक्टर ममता कुमारी


हर साल पूरी दुनिया में आठ मार्च को महिला दिवस के तौर पर मनाया जाता है। महिला दिवस पूरी दुनिया की महिलाओं के योगदान, उनकी त्याग और साहस को समर्पित है। इस खास दिवस को महिलाओं के मान-सम्मान, समाज, सियासत और आर्थिक क्षेत्र में उनकी तरक्की के जश्न के तौर पर भी मनाया किया जाता है। महिलाएं आज के समय पुरुषों से कंधे से कंधा मिलाकर चल रही हैं। कला से लेकर खेल, व्यवसाय , साइंस से लेकर टेक्नोलॉजी तक हर क्षेत्र में महिलाएं कदम से कदम मिलाकर चल रही हैं। ऐसे में समाज में उनकी इसी योगदान और साहस को रेखांकित करने के लिए हर साल आठ मार्च को महिला दिवस के रुप में मनाया जाता है।
दीपिका प्रसाद, डोरंडा महिला थाना प्रभारी


महिला दिवस हर साल 8 मार्च को मनाया जाता है और इसका उद्देश्य महिलाओं को उनके अधिकारों के प्रति जागरूक करना और उन्हें सम्मान देना है। महिलाओं ने इतिहास में हर क्षेत्र में अपनी छाप छोड़ी है, चाहे वह शिक्षा का क्षेत्र हो, राजनीति हो, विज्ञान हो या खेल का मैदान। ​अगर हम किसी समाज को मजबूत बनाना चाहते हैं, तो सबसे पहले हमें महिलाओं को सशक्त बनाना होगा। महिला सशक्तिकरण का अर्थ है महिलाओं को उनके अधिकार, शिक्षा, रोजगार और स्वतंत्रता देना ताकि वे अपने जीवन को अपनी शर्तों पर जी सकें।
डाॅ मिस्फ़िका हसन
राष्ट्रीय मंत्री, भाजपा अल्पसंख्यक मोर्चा सह झारखंड उच्च न्यायालय अधिवक्ता।

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