परवेज कुरैशी
रांची। झारखंड में कार्यवाहक मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन चौथी बार मुख्यमंत्री पद का शपथ लेने वाले झारखंड के पहले मुख्यमंत्री हो जाएंगे। हेमंत सोरेन 2013 में पहली बार मुख्यमंत्री बने थे, इसके बाद 2019 में मुख्यमंत्री बने और 2023 में एक मामले में जेल जाने के बाद उन्होंने इस्तीफा दिया था , 2024 में फिर से मुख्यमंत्री पद का शपथ लिया और 2024 में छठे विधानसभा का जो परिणाम आया इसके बाद झारखंड मुक्ति मोर्चा की 34 सीटें , कांग्रेस 16, राजद को 4 और भाकपा माले को 2 सीटें आई है । कुल मिलाकर 56 विधायाकों वाली सेकुलर दलों के साथ हेमंत सोरेन गुरुवार को 28 नवंबर को चौथी बार शपथ लेंगे। लेकिन सूचना आ रही है कि हेमंत सोरेन अकेले ही शपथ लेंगे, ऐसा पहली बार होगा जब झारखंड में कोई मुख्यमंत्री अकेले पहली बार मुख्यमंत्री पद का शपथग्रहण करेंगे।
कांग्रेस में किच किच जारी:
दरअसल बताया जा रहा है कि कांग्रेस में जो नव निर्वाचित 16 विधायक चुन कर आए हैं वे दिल्ली में जमे हुए हैं और 16 विधायक चाहते हैं कि उन्हें मौका मिले । कुछ विधायक चाहते हैं कि जिन्हें पहले कैबिनेट में मौका मिल चुका है, जिसमें दीपिका पांडेय कृषि मंत्री रह चुकी थी, इरफान अंसारी ग्रामीण विकास मंत्री और रामेश्वर उरांव वित्त मंत्री रह चुके थे, वहीं चौथे मंत्री बन्ना गुप्ता इस बार चुनाव बार हार चुके हैं। अब ऐसे में जो दो बार ,तीन बार विधायक चुने गए हैं , वे भी चाहते हैं कि इस बार उन्हें मौका मिलना चाहिए। रामेश्वर उरांव की उम्र अधिक है , इसलिए उन्हें विधायक दल का नेता बना देना चाहिए, खबर लिखे जाने तक कांग्रेस में आपसी राय नहीं बन पाए थे , इसलिए सूचना आ रही थी, कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन अकेले ही मुख्यमंत्री पद का शपथ लेंगे मौके पर राज्यपाल संतोष गंगवार शपथ दिलायेंगे। जहां तक भाकपा माले की बात है तो वे लोग भी इस पर अभी कुछ कहने को तैयार नहीं है। आरजेडी में भी सुरेश पासवान चाहते हैं कि उन्हें मंत्री बनाया जाए, क्योंकि वे हेमंत सोरेन के कार्यकाल 2013 में मंत्री रह चुके थे। लेकिन राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद ने उन्हें विधायक दल का नेता बनाया है । वहीं संजय यादव को मंत्री बनाने के लिए बात चल रही है, क्योंकि राजद चाहता है कि यादव जाति का समीकरण यहां किसी तरह ना बिगड़े और आगे भी रणनीति में वे सफल हो सके।
जेएमएम , भाजपा , थेडयू का फार्मूला 56 ही है:
कांग्रेस में अगर आपसी किच किच बढ़ती रही तो हेमंत सोरेन संभवत: दूसरा निर्णय लेने के लिए भी तैयार हो सकते हैं, क्योंकि हेमंत सोरेन के पास 34 सीटें हैं और सबसे बड़ी और मजबूत पार्टी है। तो वहीं भाजपा के पास 21 सीटे हैं और निर्दलीय में जेडयू के सरयू राय की एक सीट है, इस तरह से कुल 56 सीटे इधर भी हो जाती है। वहीं हेमंत सोरेन दो दिन पूर्व ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिलकर शपथ ग्रहण का निमंत्रण देकर वे आ चुके हैं। यह कहना कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी कि झारखंड मुक्ति मोर्चा पहले भी अर्जुन मुंडा की सरकार में भाजपा के साथ गठबंधन में सरकार बना चुकी है, इस टीम में हेमंत सोरेन उप मुख्यमंत्री थे, जहां तक आजसू का सवाल है तो आजसू पहले से भी भाजपा के लिए सिर दर्द ही साबित हुआ है। 2019 में अगर आजसू भाजपा के साथ मिलकर चुनाव लड़ती तो भाजपा को आज यह स्थिति नहीं देखनी पड़ती । इसलिए भाजपा भी चाहेगी कि कुर्मी, कोईरी, महतो का जो वोट बैंक है वह अब आजसू के बस की बात नहीं है। इसके लिए जेएलकेएम पार्टी जयराम महतो एक विकल्प के रूप में उभर कर राजनीती में आए हैं, तो इस दृष्टिकोण से झारखंड मुक्ति मोर्चा 34, भाजपा 21 और जयराम महतो की जेएलकेएम पार्टी की एक सीट मिलकर कुल 56 सीटों वाली नई सरकार बनाई जा सकती है। ऐसे झामुमो 34+आरजेडी 04+भाकपा माले 02 और जेएलकेएम एक मिलाकर 41 सीटों की सरकार बना सकते हैं हेमंत सोरेन।
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